इससे आगे उन्होंने परिकल्पना दी कि प्रकश की ऊर्जा और आवृति समान डॉप्लर विस्थापन घटक से रूपांतरित होगा, जिसे उसने मैक्सवेल समीकरणों द्वारा पहले ही सत्य सिद्ध कर दिया था [2] आइन्सटीन द्वारा १ ९ ० ५ में प्रकाशित प्रथम पेपर का विषय ” क्या किसी पिण्ड का जड़त्व उस ऊर्जा पर निर्भर करता है?